Real Story of Dunki | How Indians Cross US-Mexico Border? | Reality of Dunki Process

Donkey Process – गुजरात की राजधानी गांधीनगर से करीब 13 किलोमीटर दूर एक गांव है डिंगूचा नाम से वैसे तो इस गांव की जनसंख्या 3000 लोगों के आसपास है लेकिन आधे से ज्यादा घरों पर यहां ताले लगे पड़े हैं बताया जाता है कि 1800 के करीब गांव वाले अब डिंककुचा में नहीं रहते ये लोग ना सिर्फ अपना गांव बल्कि देश भी छोड़कर चले गए को जॉब नहीं मिलती थी तो इसे अच्छा तो परदेश में अच्छा रहेगा अमेरिका नहीं जाएंगे तो हमारे बच्चे की लाइफ इधर है नहीं आज भी डिंक कुचा में जगह-जगह पर ऐसे पोस्टर्स लगे हैं स्टडी इन यूके कनाडा फ्री एप्लीकेशन ऑफर लेटर इन थ्री डेज सबसे ज्यादा ऐड अगर आपको इस गांव में किसी चीज की दिखेगी तो वो है यूएस और कनाडा वीजा लेने की कई एड्स में तो सीधा लिखा गया है कि आपको वीजा मिल जाएगा बिना कोई एग्जाम दिए जनवरी 2022 की बात है

Real Story of Dunki

अपने गांव में बाकी लोगों को अमेरिका जाता देख डिंक कुचा के एक परिवार ने यही करने का फैसला किया 29 साल के जगदीश पटेल अपनी पत्नी और और दो बच्चों के साथ कैनेडा की फ्लाइट पकड़ते हैं अपने गांव में पहले य एक टीचर की नौकरी किया करते थे और बाद में अपने भाई के गारमेंट बिजनेस में हाथ बटा थे लेकिन इनकी कमाई पूरे परिवार की महीने की कमाई सिर्फ 9 से 00 हो पाती थी जाहिर सी बात है पैसों की कमी के चलते और बेरोजगारी की वजह से इन्होंने ये फैसला लिया बड़ी मुश्किल से ₹ लाख इकट्ठे कर पाते हैं एक एजेंट को देने के लिए जो इन्हें अमेरिका तक लेकर जाएगा डोंकी प्रोसेस के थ्रू इनकी पत्नी वैशाली बेन का सपना था कि वह अमेरिका में जाकर एक ब्यूटी सैलून में काम करें और जगदीश अपने बच्चों को बेहतर एजुकेशन देना चाहते थे इस आखिरी उम्मीद में ये अपना गांव छोड़ते हैं और 12 जनवरी को टोटो की फ्लाइट पकड़ते हैं इस डोंकी प्रोसेस का मतलब था कि इनका एजेंट इन्हें यूएस कैनेडा बॉर्डर के पास तक ड्रॉप कर देगा और बाकी रास्ता इन्हें पैदल चलकर जाना होगा और अमेरिकन बॉर्डर इलीगली क्रॉस करना होगा और टोरंटो में लैंड करने के बाद करीब एक हफ्ता ही बीता था कि पुलिस को पूरे परिवार की लाशें मिलती हैं

बॉर्डर से से सिर्फ 12 मीटर दूर ओ 10 फर फो अपल आईस इन चारों ने बेहद बर्फीले मौसम में दम तोड़ दिया था ये शायद इस बात से अनजान थे कि यहां पर -35 डिग्री सेल्सियस की ठंड में इन्हें बॉर्डर क्रॉस करना पड़ सकता है एक बहुत ही दर्दनाक अंत इस कहानी का लेकिन जगदीश का परिवार इकलौता नहीं है ऐसा हर साल हजारों की संख्या में इंडियंस कोशिश करते हैं इलीगली यूएस यूके जैसे देशों में जाने की इस डोंकी प्रोसेस के जरिए और इनमें से कई सारे अपनी जान गवा देते हैं इस कोशिश में यही कारण यूएस मेक्सिको बॉर्डर को वर्ल्ड्स मोस्ट डेंजरस बॉर्डर कहा जाता है इसी मुद्दे पर एक नई फिल्म आई है

राजकुमार हिरानी और शाहरुख खान की डंकी नाम से तो मैंने सोचा ये एक अच्छा मौका होगा इस प्रोसेस को ढंग से समझने का आइए जानते हैं इस डोंग की प्रोसेस की असलियत आज के इस post में यह जो पूरा प्रोसेस है दोस्तों बिना वीजा के किसी देश में जाने का बैक डोर इल्लीगल एंट्री करने का इसे डोंकी फ्लाइट या डोंकी प्रोसेस का नाम दिया जाता है शुरुआत में इस शब्द को सिर्फ यूके के लिए इस्तेमाल किया जाता था कई इंडियंस यूके तक इस तरीके से जाने के लिए पहले यूरोप की शगन जोन में जाते थे यह 27 यूरोपियन देशों की एक जोन है जहां पर सिर्फ एक शें वीजा की जरूरत होती है इनमें से किसी भी देश का वीजा हो तो बिना दूसरे देश के वीजा के बॉर्डर क्रॉस किया जा सकता है हालांकि यूके कभी भी शगन जोन का हिस्सा नहीं रहा लेकिन यूरोप काफी पास आ जाता है यूके के लोग अलग-अलग तरीकों से यूरोप के थ्रू होते हुए यूके घुसने की कोशिश करते थे कुछ लोग ट्रकों में ट्रेवल करते कुछ लोग गाड़ियों में तो कुछ लोग पैदल चलकर घंटों घंटों तक यह सफर तय करते हैं

  • How Indians Cross the US-Mexico Border?

माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टिट्यूट की एक स्टेटिस्टिक्स हर महीने करीब 150 इंडियंस को डिपोर्ट किया जाता था यूके से लेकिन आज के दिन ये डंकी डोंकी प्रोसेस हर तरीके की बैक डोर एंट्रेंस के लिए इस्तेमाल किया जाता है ज्यादातर लोग आज के दिन यूके की जगह अमेरिका जाने की सोचते हैं इस डंग की प्रोसेस के जरिए इंडिया में हजारों वीजा एजेंसीज और कंपनीज हैं जो ये काम करवाती हैं इन कंपनीज में जो एजेंट्स लोगों को इधर से उधर ट्रांसपोर्ट करने का काम करते हैं इन्हें डॉकर्स कहा जाता है सबसे ज्यादा इल्लीगल इमीग्रेंट एक्सपोर्ट करने के लिए इंडिया में दो स्टेट्स बहुत फेमस हैं गुजरात और पंजाब लेकिन रिसेंट इयर्स में बढ़ती बेरोजगारी के चलते हरियाणा भी इस मुकाबले में काफी आगे निकल गया है कितना प्राइस ये एजेंसीज चार्ज करती हैं ये डिपेंड करता है कि आप इनका कौन सा पैकेज लोगे मजाक नहीं कर रहा इनके सही में पैकेजेस होते हैं

एक डीलक्स ट्रेवल पैकेज जिसमें आपके लिए फेक डॉक्यूमेंट बनवाए ट्रेवल में आपको असिस्ट करेंगे एक इकॉनमी पैकेज अगर ज्यादा पे नहीं करना आपको तो यह आपको बॉर्डर के पास लाकर ड्रॉप कर देंगे और उसके बाद आपको पूरा रास्ता खुद पैदल चल के जाना है डिपेंडिंग अपॉन द पैकेज 25 से ₹ लाख तक की रकम मांग सकते हैं बहुत से लोग जो इन कंपनीज के जाल में फंसते हैं वो या तो रिलाइज नहीं करते कि रेगुलर वीजा की फीस कभी इतनी ज्यादा नहीं होती या फिर वो लोग ऐसे होते हैं जो रेगुलर वीजा अपने लिए लगवा ही नहीं पाते कोई ना कोई रिक्वायरमेंट्स वो मीट नहीं कर पाते वीजा लगवाने की इसलिए उन्हें लगता है कि इतनी बड़ी रकम देने के अलावा उनके पास कोई और ऑप्शन नहीं बचा है क्योंकि यह काम इलीगली किया जाता है तो रेगुलर वीजा की एप्लीकेशंस को बायपास कर लिया जाता है और लोग इतना पैसा इकट्ठा करने के लिए अक्सर अपने खेत बेच देते हैं

अपने घर बेच देते हैं और कई बारी तो पूरी लाइफ सेविंग्स इसी एक उम्मीद पर लगा देते हैं कुछ दोष इन कंपनीज और एजेंसीज पर भी जाता है क्योंकि बहुत सी बार ये कंपनीज लोगों को गुमराह करती हैं झूठे वादे सुनाकर यह कहती हैं कि हम ना सिर्फ आपको बड़ी आसानी से अमेरिका तक पहुंचा देंगे बल्कि वहां पर ढेर सारी जॉब अपॉर्चुनिटी भी मिलेंगी आपको और जो असली मुसीबतें आएंगी इस सफर में और जो लीगल प्रोसेसेस का आपको सामना करना पड़ेगा इन सब चीजों को छुपाकर रखते हैं जो लोग इन चीजों के बारे में ज्यादा जानते नहीं वो इस जाल में फंस जाते हैं यहां एक इंफॉर्मेशन गैप है जिसे एक एक्सप्लोइट किया जा रहा है

इन कंपनीज के द्वारा लेकिन आज के दिन चैट जीपीटी जैसे एआई सॉफ्टवेयर्स की मदद से ये सारी चीजें आप खुद से जान सकते हैं किसी और पर डिपेंड होने की जरूरत नहीं अलग-अलग देशों के इमीग्रेशन प्रोसेसेस कैसे काम करते हैं उनकी क्या वीजा रिक्वायरमेंट्स होती हैं ट्रैवल से रिलेटेड क्या एक्सपेंसेस आते हैं ये सारी नॉलेज आपको चैट जीपीटी समझा सकता है आसान हिंदी भाषा में एगजैक्टली कैसे इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना है अपने फायदे के लिए इसी के लिए मैंने एक 45 घंटे का चैट जीपीटी पर कोर्स बनाया है पूरा हिंदी में इसमें स्टेप बाय स्टेप मैंने सिखाया है कि कैसे अलग-अलग कामों में आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं इसकी बात मैंने पिछले वीडियोस में भी कई बार करी है लेकिन एक चीज जो शायद आप नहीं जानते हो कि इस कोर्स में एक स्पेसिफिक लेसन है

स्टडिंग अब्रॉड के ऊपर अगर आपको बाहर पढ़ने जाना है तो किसी कंसल्टेंट पर डिपेंड होने की जरूरत नहीं कैसे आप चैट जीपीटी का इस्तेमाल कर सकते हैं वो इंफॉर्मेशन जानने के लिए एक स्पेसिफिक लेसन है ट्रेवल प्लानिंग के ऊपर अगर आपको बाहर घूमने जाना है तो किसी ट्रेवल एजेंट पर डिपेंड होने की जरूरत नहीं खुद से आप अपनी प्लानिंग कर सकते हैं इसके अलावा अलग-अलग चैप्टर्स हैं जो स्टूडेंट्स पर फोकस करते हैं एंप्लॉयज पर बिजनेस ओनर्स पर पर या घर के कामों में हजारों लोग जिन्होंने अभी तक इस कोर्स को लिया है उन्हें बहुत यूज़फुल लगा है उनके रिव्यूज आप स्क्रीन पर देख सकते हैं और अगले महीने मैं एक बड़ा अपडेट भी लाने वाला हूं इस कोर्स में तो अगर आपने अभी तक जवाइन नहीं किया है नीचे इसका डिस्क्रिप्शन में लिंक मिल जाएगा या फिर आप इस क्यूआर कोड को स्कैन कर सकते हैं और आप में से पहले 400 लोग जो कूपन कोड इस्तेमाल करेंगे डन 40 य 40 उन्हें 40 पर ऑफ भी मिलेगा तो जरूर जाकर चेक आउट करना पटेल परिवार जिनकी बात मैंने वीडियो के शुरू में करी थी उनकी कहानी पर वापस आए तो उन्होंने ज्यादा लोगों बताया नहीं था कि व कहां जा रहे हैं

12 जनवरी को टोरंटो पहुंचने के बाद वो कैनेडा के मनी तोबा प्रोविंस में गए जो कि करीब 2100 किमी दूर है टोरंटो से एक हफ्ते बाद उन्हें एमरसन टाउन के पास ड्रॉप किया गया ये एक छोटा सा टाउन है आप नक्शे पर देख सकते हैं अमेरिकन बॉर्डर के दूसरी तरफ नॉर्थ डकोटा और मिनेसोटा के पास जब इनकी बॉडीज पाई गई तो उनके आसपास कोई गाड़ी या वैन का नामो निशान तक नहीं था इसका मतलब था कि ये काफी समय से चल रहे थे और सेम दिन जब इनकी बॉडीज मिली तो कैनेडियन साइड पर एक 47 साल के यूएस सिटीजन स्टीव शैड को भी अरेस्ट किया गया एमरसन से करीब 8 किमी दूर ये एक 15 सीट वैन ड्राइव कर रहे थे जिसमें दो गुजराती बैठे थे पैसेंजर्स के तौर पर इसके बाद पांच और गुजराती पाए गए जो अमेरिका के 400 मीटर अंदर मिले जब अथॉरिटीज ने इन्हें पकड़ा तो इन्होंने बताया कि ये 11 घंटे से चले जा रहे थे इन पांच लोगों में से एक के पास बैकपैक था जिसमें बच्चों के डाइवर्सिटी कपड़े थे इन्होंने बताया कि यह बैग इनका नहीं है

इन्होंने कहा कि हमारे साथ चार और लोग थे जो रास्ते में कहीं भटक ग यह बैग उसी परिवार का है इवन दो यह प्लान फेल रहा लेकिन यह सात गुजराती लोग कम से कम सरवाइव तो कर गए बाद में इन्हें और उस अमेरिकन सिटीजन को अरेस्ट कर लिया गया अमेरिकन पुलिस के द्वारा अमेरिका का यह नॉर्दर्न बॉर्डर जो कैनेडा के साथ मिलता है यहां पर -35 -40 डिग्री सेल्सियस तक ठंड हो सकती है सोचकर लगेगा कि सदर्न बॉर्डर से अमेरिका में घुसना बेहतर होगा लेकिन नीचे का जो बॉर्डर है यूएसए मेक्सिको का वो और भी खतरनाक है जो लोग वहां का रास्ता अपनाते हैं इस डोंकी प्रोसेस के दौरान उन्हें और भी मुश्किलों से से जूझना पड़ता है भाई हम अमेरिका डोंकी खतर आए थे भाई चार जने बचे भाई हम भूखे पेट चलाने लग रहे पांच दिनों के इन जंगला में देखि भाई मेक्सिको के भाई ऐसा है देख पता क्या मां-बाप का कल्ले कल्ले बाल को भाई 35 40 लाख दे रखे हमारे मां-बाप ने हमने दो महीने हो गए हमारे मां-बाप तो बात भी नहीं करी सभी भाई भाई मा एक बात कहना चाहू भाई डोंकी में कोई ना आयो भाई एक नंबर में चले जाओ भाई साउथ अमेरिका से शुरू होने वाले डोंकी रूट इक्वाडोर या ब्राजील में शुरू होता है ये दो ऐसे देश जहां पर इंडियंस के लिए वीजा लेना कंपेरटिवली ज्यादा आसान है इक्वेडोर में तो 2019 से पहले वीजा की जरूरत भी नहीं होती थी यहां पहुंचने के बाद एक हजारों किलोमीटर लंबा सफर तय करना पड़ता है

एक ऐसा सफर जो ऊपर कोलंबिया देश फिर पनामा देश से होते हुए मेक्सिको में जाता है यहां एक बहुत घना जंगल है 100 किमी से ज्यादा बड़ा इसे द डेरियन गैप कहा जाता है इस एरिया में कोई सड़कें नहीं है सिर्फ पहाड़ और जंगल झाड़ियां और नदियां कोई सरकारी अथॉरिटी भी प्रेजेंट नहीं है इस एरिया में और इसे वन ऑफ द मोस्ट डेंजरस एरियाज में से कंसीडर किया जाता है दुनिया के क्योंकि यहां यहां पर ड्रग कार्टल और गोरिला ग्रुप्स अक्सर इस रास्ते को इस्तेमाल करते हैं जो लोग इस रास्ते को अपनाते हैं वो अक्सर इन गैंग्स के थ्रू मारे भी जाते हैं न्यूज आई है भाई एक भाई की मौत हो गई भाई डोकर ने गोली मार दी उसके और भाई उसकी लाश पड़ी मिली थी भाई की भाई एजेंट केतो है एजेंट ने पैसे नहीं आगे पचाए डकर के पूरे तो डकर के लन गोली मार दी डकर ने बालक इतने मरे हैं भाई कई बालका की न्यूज मैंने सुनी है भाई जंगल में तीन-तीन महीने हो भाई आ का सुराग नहीं लग र इस जंगल को क्रॉस करने के बाद मेक्सिको का रे आता है

जहां पर बहुत जबरदस्त गर्मी पड़ती है और फिर आती है यह दीवार यह ऊंची सी दीवार जिसे डोनाल्ड ट्रंप के समय में बनाया गया था मोस्टली इसे क्रॉस कर पाना भी एक बहुत बड़ा चैलेंज है और यह रास्ता इतना खतरनाक है 202 के इस आर्टिकल को देखिए इसे 1 साल में 650 से ज्यादा लोग मारे गए इस यूएस मेक्सिको बॉर्डर को क्रॉस करते हुए जाहिर सी बात है यहां पर सवाल उठता है यह रास्ता इतना खतरनाक जानलेवा होने के बावजूद भी लोग इस डोंकी प्रोसेस में क्यों लाखों रुपए खर्च करते हैं और अपनी जान दाव पर लगाते हैं मोटे-मोटे तौर पर देखा जाए तो तीन कारण है इसके पीछे सबकी बात करते हैं एक-एक करके सबसे पहला और सबसे बड़ा कारण है इकोनॉमिक अपॉर्चुनिटी ये वो लोग हैं जो देश के बाहर जाना चाहते हैं बेहतर अपॉर्चुनिटी के लिए बेहतर जिंदगी के लिए ये लोग अक्सर अमेरिकन ड्रीम के सपनों से बड़ा प्रभावित होते हैं इन्हें लगता है कि एक बार अमेरिका पहुंच गए तो हमारी जिंदगी बदल जाएगी आमतौर पर जो लोग अपर क्लास या अपर मिडिल क्लास से होते हैं वो लोग भी अक्सर सेम रीजंस की वजह से देश से बाहर जाना चाहते हैं लेकिन उनके पास लीगल तरीके बहुत होते हैं

उनकी अच्छी नौकरियां होती हैं तो वो बाहर अच्छी नौकरियों के लिए अप्लाई कर सकते हैं या फिर उनकी एजुकेशनल क्वालिफिकेशन होती हैं कि वह स्टूडेंट के तौर पर बाहर जाकर यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई कर सके लेकिन जो लोअर मिडिल क्लास के लोग होते होते हैं उनके पास लीगल रास्ते लेने के या तो पैसे नहीं होते या क्वालिफिकेशन नहीं होती मितेश त्रिवा दी एक ऐसे ही इंसान जो 30 साल पहले इंडिया छोड़कर कैनेडा गए बीबीसी को बताते हैं कि ये एक हाईली एजुकेटेड इंजीनियर थे इंडिया में लेकिन ये ऊपर नहीं उठ पा रहे थे आई वाज बोर्न लोअर मिडिल क्लास इफ आई हैड स्टेट आई वुड हैव डाइड लोअर मिडिल क्लास साल 2000 में इन्हें कैनेडियन सिटीजनशिप मिल गई थी और अब ये एक प्रॉफिटेबल रेस्टोरेंट चलाते हैं कनाडा में ऐसे कई मितेश त्रिवेदी देश के अलग-अलग हिस्सों में पाए जाते हैं जब ऐसे सक्सेसफुल केसेस अपने पर और दोस्तों को अपनी कहानियां सुनाते हैं तो उनके अंदर भी उम्मीद जागती है और धीरे-धीरे करके और लोग मोटिवेट होते हैं

इसी रास्ते को अपनाने में इन सक्सेसफुल केसेस की कहानियां सुनकर इन परिवारों में अक्सर एक सोसाइटल प्रेशर या फैमिली प्रेशर वाला एंगल भी आ जाता है अगर किसी गांव से हर दूसरा इंसान देश से बाहर अमेरिका में जा रहा है तो कुछ लोगों को लगता है कि भाई इज्जत का सवाल है हमारे परिवार में से भी एक ना एक तो होना चाहिए जो देश के बाहर जाकर अमेरिका में सेटल होए नहीं तो क्या इज्जत रह जाएगी हमारे परिवार की हमारे गांव में मतलब डिंगू में अगर बच्चा पैदा हुआ है तो अमेरिका जाएगा हां बस वो एकज बस दे एकज नथी दथ आगर न बतर देखा तो नथी खेती करवी नथी कोई व्यापार धं करवा फक्त न फक्त एकज धुन के भाई अमेरिका जाऊ स इसके रिगार्डिंग अगर आप डाटा देखोगे तो बहुत शॉकिंग है इस चार्ट को देखिए यूएस कस्टम्स और बॉर्डर प्रोटेक्शन के अनुसार कितने इंडियंस एक्चुअली में इलीगली अमेरिकन बॉर्डर्स में घुसे साल भर साल ये नंबर कितनी तेजी से बढ़ता गया है

2013 में ये नंबर नेगलिजिबल होता था लेकिन 2017 और इनफैक्ट 2019 के बाद से देखिए कितना बड़ा यहां पर इंक्रीज देखने को मिला 2020 से लेकर 21 के बीच में 30000 से ज्यादा इंडियंस ने ये किया 202122 में डबल हो गया ये 6392 7 तक पहुंच गया और जो लेटेस्ट डेटा पॉइंट आपको इस ग्राफ में नहीं दिख रहा वो इससे भी ऊपर है अक्टूबर 2022 और सितंबर 2023 के बीच में ये नंबर 96000 पर पहुंच चुका है ऑलमोस्ट 1 लाख इंडियंस 1 साल में अमेरिका में इलीगली घुसने की कोशिश कर रहे हैं इस साल के 9691 इंडियंस में से करीब 30000 कनाडा के थ्रू पकड़े गए और 41000 मेक्सिको के पास पकड़े गए ये प्रॉब्लम सिर्फ इंडिया की नहीं है बाकी कई सारे देशों के लोग भी इस डोंकी प्रोसेस का इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं अमेरिका में घुसने के लिए और मैक्सिकंस की संख्या और भी ज्यादा है

इंडियंस से जाहिर सी बात क्योंकि मेक्सिको बॉर्डर पर पड़ता है अमेरिका के लेकिन एशियन कंट्रीज में इंडिया नंबर वन पर आता है सेंटर फॉर माइग्रेशन स्टडीज 2015 का डाटा इंडिया से करीब 45 लाख लोग अन डॉक्यूमेंट अमेरिका में पाए गए चाइना का यह नंबर इंडिया से थोड़ा सा कम है ऑलमोस्ट 4 लाख पर और बाकी और देशों के नंबर्स आप स्क्रीन पर देख सकते हो अब बात करते हैं दूसरे कारण की जिसकी वजह से लोग यह कर रहे हैं जो कि है बढ़ती बेरोजगारी देश में यही कारण है जिसकी वजह से बहुत से हरियाणवी लोगों ने पिछले कुछ सालों में यह किया है क्योंकि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी सितंबर 2022 की रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा का अनइंप्लॉयमेंट रेट देश में नंबर वन पर है हरियाणा में हाईएस्ट अनइंप्लॉयमेंट देखने को मिलती है 37 7.3 पर लोग बेरोजगार है जो कि चार गुना ज्यादा है नेशनल एवरेज से और यह ऑफकोर्स रूरल हरियाणा में शहरों के बाहर सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है ये लोग अपनी असल जिंदगी में अपने देश में इतनी बुरी हाल तों में जी रहे हैं कि इन्हें लगता है कि इस जानलेवा रास्ते को चुनना अभी के हालातों से तो बेहतर होगा हजारों गांव में बेरोजगार लोग अपने परिवार की जमीन बेच रहे हैं सोना बेच रहे हैं

ताकि इस काम के लिए पैसे इकट्ठे किए जा सके ढाठ रथ मोरखी और कलवा कुछ गांव है हरियाणा के जींद डिस्ट्रिक्ट में जोड की सीकर्स का हब बन गए ये लोग अक्सर एक और रास्ता अपनाते हैं दुबई जाना टूरिस्ट वीजा पर और शेडी होटल्स में रुकना बिना प्रॉपर खाने के और सीक्रेट कंटेनर्स में बैठ के एक से दूसरे देश में जाना एक ऐसे ही 20-21 साल के हरियाणवी लड़के निश्चय शर्मा ने अपनी कहानी सुनाई कि वो पढ़ाई में कमजोर होने के चलते स्टूडेंट या जॉब वीजा लेकर बाहर नहीं जा सकता था तो इसलिए उसने डोंकी फ्लाइट का रास्ता अपनाया इसके अनुसार यह बड़ा लकी था पांच महीने के अंदर-अंदर ही पहुंच गया कैलिफोर्निया गया नौ और अलग-अलग देशों को पार करते हुए कभी जंगलों से तो कभी एक्सट्रीम वेदर से गुजरते हुए ये कहता है कि कई बारी इस जर्नी को करने में 2 साल तक का समय लग सकता है बहुत से लोगों को मारा जाता है लॉकअप में डाला जाता है और कई तो मारे भी जाते हैं इस रास्ते में हरियानवी यूथ का कहना है कि वो परेशान हो गए हैं इस जॉबल सनेस की टॉक्सिक साइकिल से और एंट्रेंस एग्जाम के पेपर लीक्स की खबर सुनकर लेकिन बहुत से लोग सही मायनों में ये रिलाइज नहीं करते कि इस रास्ते को अपनाना कितना खतरनाक हो सकता है फिर आता है दोस्तों तीसरा कारण डोंकी बनने के पीछे जो कि है एस्केपिंग पॉलिटिकल प्रोसीक जो लोग अपने देश से भागते हैं क्योंकि उनके खिलाफ अत्याचार हो रहा था या डिस्क्रिमिनेशन हो रही थी अब टेक्निकली देखा जाए तो बॉर्डर पेट्रोल के अनुसार यह सबसे बड़ा रीजन है जो लोग रिपोर्ट करते हैं लेकिन क्या एक्चुअली में ये सबसे बड़ा कारण है

डोंकी फ्लाइट लेने के पीछे यहां एक इंटरेस्टिंग बात आपको बताना चाहूंगा जो लोग डोंकी का रास्ता अपनाते हैं वो लोग बॉर्डर क्रॉस करने के बाद क्या करते हैं कभी सोचकर देखा है क्या वो पुलिस से छुपते घूमते हैं हैं और छुप-छुप कर अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करते हैं ऐसा नहीं है ज्यादातर लोग खुद ही अपने आप को बॉर्डर पेट्रोल के हवाले कर देते हैं बॉर्डर क्रॉस करते ही जो गार्ड्स खड़े होते हैं खुद ही अपने आप उनके साथ चले जाते हैं उनसे भागने की वजह और इसके पीछे कारण है अाइलमेर नेशंस की रिफ्यूजी एजेंसी के अनुसार अाइलमेर है जब आप किसी देश में असाइन सीख करते हो तो वह देश आपको प्रोटेक्ट करता है कि आप उस देश में रह सकते हो क्योंकि अगर आप अपने देश में रहोगे तो आप खतरे में हो कैसा खतरा कोई पॉलिटिकल खतरा हो सकता है कोई आपको मार दे या फिर कोई रिलीजियस या रेसियल डिस्क्रिमिनेशन हो सकती है तो जो लोग इस रास्ते को अपनाते हैं वो बॉर्डर पेट्रोल के पास जाकर कहते हैं कि वो अाइलमेर हैं पर्सीक्यूशन की एक हो गया रिलीजियस पर्सीक्यूशन अगर किसी धर्म से आप बिलोंग करते हो और उसकी वजह से आपको डिस्क्रिमिनेट किया जाता है आपके खिलाफ अत्याचार होता है एक हो गया पॉलिटिकल पर्सीक्यूशन किसी को उनकी पॉलिटिकल बिलीव्स की वजह से उन्हें खतरा पहुंचता है किसी किसी की एथनिक या रीजनल आइडेंटिटी की वजह से उनको खतरा पहुंचता है उनके खिलाफ अत्याचार होते हैं

एक हो गया कास्ट बेस्ड पर्सीक्यूशन किसी की कास्ट की वजह से उनके खिलाफ अत्याचार हो रहे हैं या फिर एक हो गया सोशल ग्रुप पर्सीक्यूशन अगर आप किसी सोशल ग्रुप का हिस्सा हो जिसके खिलाफ वायलेंस देखने को मिल रहा है जैसे औरते या एलजीबीटी कम्युनिटी तो टेक्निकली काफी सारे कारण हो सकते हैं और जो लोग इलीगली इस रास्ते को अपनाते हैं वो इनमें से कोई भी कारण बता सकते हैं लेकिन एक्चुअली में ये कारण सही है जस्टिफाइड है या नहीं है ये डिसाइड करने के लिए एक इमीग्रेशन जज होता है तो जो लोग बॉर्डर पार करने के बाद असाइन के लिए अप्लाई करते हैं उन्हें इमीग्रेशन कोर्ट में जाकर अपनी जस्टिफिकेशन और रीजनिंग देनी होती है और कोर्ट के सामने साबित करना होता है कि जो वो कह रहे हैं वो सच है जाहिर सी बात है बहुत से लोग झूठ बोलते हैं क्योंकि उनका असली कारणं कुछ और होता है पहले दो कारणों में से होता है तो ऐसे केसेस में लोगों को वापस डिपोर्ट कर दिया जाता है यानी लाखों रुपए जो खर्च किए पूरा पैसा बर्बाद और अगर आप झूठ बोलते हुए पकड़े गए ऊपर से बैन और लगा दिया जाता है कि आज के बाद आप जिंदगी में कभी अमेरिका में लीगली ट्रेवल नहीं कर पाओगे लेकिन यहां ये चीज भी मेंशन करनी जरूरी है कुछ जेनुइन लोग भी होते हैं

जिनका असली में यही कारण होता है डोंकी फ्लाइट लेने के पीछे उदाहरण के तौर पे है हमारे पास जालंधर में रहने वाले जशन प्रीत सिंह की कहानी इस रिपोर्ट में मेंशन किया गया है जशन एक 24 साल के ओपनली गे इंसान थे जो जालंधर में रहते थे इन्हें डेली बेसिस पर डिस्क्रिमिनेशन और हरासमेंट फेस करनी पड़ती थी चाहे आसपास के पड़ोसी हो या दूर के कोई जानने वाले लेकिन हालात एक दिन इस कदर बिगड़ गए कि गालियों से आगे बढ़कर मारा पीटा भी जाने लगा यह बताते हैं कि एक बार इन पर 15-20 लोगों ने हमला कर दिया और इन्हें जान से मारने की कोशिश करी गई इसकी वजह से इनका एक हाथ म्यूट केड है इन्होंने कंसीडर किया कि ये शहर से बाहर निकलकर किसी दूसरे शहर में शिफ्ट हो जाते हैं

लेकिन इन्हें इस चीज का डर था कि इंडिया में शायद कहीं भी कल्चर इतना ओपन माइंडेड नहीं है गे लोगों को लेकर फिर इन्होंने फैसला लिया कि ये डोंकी का रास्ता अपनाएंगे टर्की और फ्रांस के थ्रू होते हुए ये किसी तरीके से मेक्सिको बॉर्डर तक पहुंचे जिसके थ्रू यह अमेरिका में एंटर किए वहां इन्होंने बॉर्डर क्रॉस करने के बाद अाइलमेर किया और इन्हें ग्रांट कर दिया गया एक सवाल आपके मन में आएगा कि यह करने के लिए डोंकी का रूट अपनाने की क्या जरूरत थी और इसके पीछे सिंपल रीजन यह है कि अाइलमेर होते हैं यूएसए के रूल्स के अनुसार अमेरिका में अगर आपको अाइलमेर कन सोइल पर आपको होना चाहिए लेकिन ऐसे केसेस बहुत कम होते हैं और यहां पर यह भी याद रखने वाली बात है कि इकोनॉमिक माइग्रेशन को अाइलमेर में कंसीडर नहीं किया जाता बहुत से लोग इसी को कोशिश में महीनों तक सालों तक इन्वेस्टिगेशन के अंडर रहते हैं अक्सर टॉर्चर उन्हें सहना पड़ता है एक अससाइलम की एप्लीकेशन को प्रोसेस करने में कई बारी सालों तक का समय लग सकता है और ऐसा भी हो सकता है कि आप कई साल तक अमेरिका में रह लिए लेकिन उसके बाद वो डिसाइड करते हैं कि आप तो झूठे थे यहां पर और उसके बाद आपको डिपोर्ट किया जाता है

और यहां यह भी बात याद रखने वाली है कि जैसे ही आप बॉर्डर क्रॉस करते हो ऐसा नहीं है कि इमी जेटली आपको इमीग्रेशन कोर्ट के सामने पेश कर दिया जाता है सबसे पहले डिटेंशन सेंटर्स में डाला जाता है लोगों को जहां पर हालत काफी खराब होती है अक्सर कुछ डिटेंशन सेंटर्स ऐसे हैं जहां पर ढेर सारे लोगों को एक छोटे से कमरे के अंदर बंद करके रखा गया है और हफ्तो महीनों तक वो वही पड़े रहते हैं जब तक पुलिस वाले बोलते नहीं कि अब आपका नंबर आ गया द ऑफिसर्स आर नाइस ऑफिसर्स ट्र य वे ब आई ल्ड यू यर लक्ड इनसाइड यर नॉट फ्री यप्रेस एंड में मैं एक सिंपल सी चीज कहना चाहूंगा याद रखिए जान है तो जहां है कभी भी अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर ऐसे रास्ते चुनने का कोई फायदा नहीं है कोर्स को डाउनलोड करने का लिंक नीचे डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा और अगर यह वाला वीडियो आपको पसंद आया तो यह वाला भी जरूर पसंद आएगा शाहरुख खान की जो पिछली फिल्म रिलीज हुई थी इस साल जवान उसमें कौन सा सोशल इशू दिखाया गया था कौन से असल इश्यूज की उसमें बात करी गई थी इसको मैंने एक्सप्लेन किया है इस वाले वीडियो में यहां क्लिक करके देख सकते हैं बहुत-बहुत धन्यवाद

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